Stories from Bharat – हिन्दू काल निर्धारण
हिन्दू काल निर्धारण
- 2 अयन (छः मास अवधि) = 1 मानव वर्ष = एक दिव्य दिवस
- 360 मानव वर्ष = 1 दिव्य वर्ष
- 4,000 + 400 + 400 = 4,800 दिव्य वर्ष = 1 कॄत युग / सतयुग = 1,728,000 (4,800 दिव्य वर्ष X 360 दिवस) मानव वर्ष
- 3,000 + 300 + 300 = 3,600 दिव्य वर्ष = 1 त्रेता युग = 1,296,000 (3,600 दिव्य वर्ष X 360 दिवस) मानव वर्ष
- 2,000 + 200 + 200 = 2,400 दिव्य वर्ष = 1 द्वापर युग = 864,000 (2,400 दिव्य वर्ष X 360 दिवस) मानव वर्ष
- 1,000 + 100 + 100 = 1,200 दिव्य वर्ष = 1 कलि युग = 432,000 (1,200 दिव्य वर्ष X 360 दिवस) मानव वर्ष
- 12,000 दिव्य वर्ष = 4 युग = 1 महायुग (दिव्य युग भी कहते हैं)
12,000 दिव्य वर्ष = 1 चतुर्युगी (43,20,000 मानव वर्ष)
71 चतुर्युगी = एक मन्वंतर
14 मन्वंतर = 1 कल्प (1 कल्प अर्थात ब्रह्माजी के लोक का 1 दिन )
विष्णु पुराण के अनुसार मन्वंतर की अवधि 71 चतुर्युगी के बराबर होती है। इसके अलावा कुछ अतिरिक्त वर्ष भी जोड़े जाते हैं। 1 मन्वंतर = 71 चतुर्युगी = 8,52,000 दिव्य वर्ष = 30,67,20,000 मानव वर्ष।
27वां चतुर्युगी (अर्थात चार युगों के 27 चक्र) बीत चुका है। और, वर्तमान में यह वराह काल 28वें चतुर्युगी का कृतयुग (सतुयग) भी बीत चुका है और यह कलियुग चल रहा है।
अभी तक 6 मन्वंतर बीत चुके हैं और यह 7वां मन्वंतर चल रहा है जिसका नाम वैवस्वत मनु का मन्वंतर कहा गया है।
यदि हम कल्प की बात करें तो अब तक महत कल्प, हिरण्य गर्भ कल्प, ब्रह्म कल्प और पद्म कल्प बीत चुका है और यह 5वां कल्प वराह कल्प चल रहा है।
